“बालक की अन्तर्निहित शक्तियों को अभिव्यक्ति एवं विकास का अवसर प्रदान करना ही शिक्षा है ” स्वामी विवेकानंद के इस कथन के अनुसार शिक्षा केवल औपचारिक रूप से कुछ विषयों के शिक्षण तक ही सीमित नहीं रह जाती उसका उद्देश्य विस्तृत एवं व्यापक है इसमें बालक के सर्वांगीण विकास (शारीरिक, मानसिक, बौध्दिक, नैतिक तथा आध्यात्मिक) एवं सामाजिक विकास की कल्पना में औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ व्यक्तिगत क्षमताओं, प्रतिभाओं तथा सद्गुणों के विकास का वातावरण एवं अवसर प्रदान करना निहित है |

शिक्षा के इसी उद्देश्य को लेकर “सरस्वती शिशु मंदिर ” योजना का प्रारम्भ सन 1952 में हुआ था | आज विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान देश में प्रमुख पहचान एवं स्थान बनाये हुए है | शिशु शिक्षा समिति पश्चिमी उत्तर प्रदेश द्वारा संचालित नोएडा का यह सरस्वती शिशु मंदिर शिक्षा के इस उद्देश्य की पूर्ति के संकल्प को लेकर ही सन 1990 में प्रारम्भ किया गया था तब से यह निरंतर प्रगति पथ पर अग्रसर हो रहा है |

भूमि व भवन

नोएडा सेक्टर -12 में स्तिथ भूखंड क्र. सं. सी -41 (क्षेत्रफल 6000 वर्ग मीटर ) पर सरस्वती शिशु मंदिर (कक्षा नर्सरी से पंचम तक ) आकर्षक एवं सुविधायुक्त निजी भवन में चल रहा है।